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दुःखी रहने का एक महत्वपूर्ण कारण

     


     आज के आर्टिकल में मै कुछ ऐसी बात करने जा रहा हूं जो आपको लागू हो भी सकती हैं और नहीं भी हो सकती । ये पूरी तरह आप पर निर्भर है कि आप इस आर्टिकल को किस तरह से लेते है। 


      जिंदगी का सबसे मुख्य लक्षण है वो बस चलते जाती है, कहीं पर भी वो रुकती नहीं हैं , इसलिए जिंदगी को बेहती नदी की उपमा दी जाती हैं। 


        आज हम बात करने जा रहे है कि हमें ऐसा क्यों लगता हैं कि हमारी जिंदगी रुक सी गई है ? और जब भी ये विचार (thought) हमारे दिमाग में आता है हम कहने लगते है कि में दुःखी हु । 


         इस प्रकार के दु:खी लोगो के पास वो सब कुछ होता है जो उनको या हम सबको जीने के लिए चाहिए , यानी रोटी , कपड़ा और मकान जैसी सारी प्राथमिक सुविधाएं । साथ ही साथ अगर आप देंखे तो ये लोग अपने जीवन में अच्छे पैसे भी बना रहे होते है फिर भी ये कहते है कि में।   दु: खी हु । 


           हम सबके दिमाग में यही सवाल आता है कि क्यों ऐसा होता है ? इसका जवाब है हमारी कल्पना ( fantasy ) और वास्तविकता ( Reality ) के बीच का अंतर इन्हे दुःखी करता है और शायद हमें भी। 


          आओ चलो हम इस बात को समझते हैं। हमारा दिमाग हमेशा कहानियों में सोचता है । यानी कि हमारा दिमाग हमेशा कहानियां ( stories ) के रूप में चीजों को याद रखता है तथा ज्यादातर हमारी सोचने की प्रक्रिया एक कहानी के तौर पर चलती हैं । 


           हम सब छोटे थे तब से हम हमारे आगे आने वाले जीवन के बारे में एक कहानी बनाते है । और इस कहानी को हम इतनी बार अपने दिमाग में दोहराते है कि हमारे दिमाग को लगने लगता है कि ये कहानी ही सच होने वाली है । मगर सच्चाई बिल्कुल उलट होती है ।


            हम सब जो कुछ भी अपने बारे में सोचते है , चाहे वो हमारी पढ़ाई , नोकरी , वाइफ , गर्लफ्रेंड , दोस्त , या किसी भी चीज के बारे में हो वो सब हमारी कल्पना है । और जैसा हम सोचते है उसका सिर्फ 1%ही वास्तविक जीवन में हमारे साथ होता है । और जब ये कल्पना ( fantasy ) हमारी वास्तविकता ( reality ) न बने तो ये अंदर ही अंदर हमें परेशान करती रहती है। 


        हमारा दिमाग कल्पनाशील है । वो कभी भी कल्पना (  fantasy ) को छोड़ नहीं सकता है। इससे बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वो है कि हमारी कल्पना ( fantasy ) और वास्तविकता ( reality ) के बीच का अंतर जितना कम हो सके उतना कम करे और अपनी कल्पना ( fantasy ) का निर्माण अपनी वास्तविकता के आधार पर करें । 



          मगर आज के इस मोबाइल युग में कुछ चंद लोग अपने आर्थिक लाभ के  लिए  लोगों की कल्पना (fantasy) को extreme level तक बढ़ाने का उद्देश्य रखते है , तो इस तरह के कंटेंट से जितना बचा जाए उतना बचिए क्योंकि आखिर में दुःखी आप ही होने वाले हो । 



और हमेशा याद रखें , 


                   "You are awesome."

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