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अकेलापन

आज हम हारे हुए हैं , अपने आप से। इस लोकडाउन ने हमें बताया की हम सब के साथ खुश रह शकते है, मगर अपने आप के साथ हम खुश नहीं रह शकते।

        हमें कोइना कोई चाहिए बाते करने के लिए। हम अकेलेपन के शिकार है। अकेलापन जो हमें अंदर से काट खाता है।

      हम जब भी अकेले होंगें तुरंत ही हम कुछ न कुछ ढुढने लगते है। हम किसी और से परेशान  नहीं है। हम खुद से परेशान हैं।

       अगर ये अकेलापन हमारा दोस्त बन जाये , जो हमारी सबसे बड़ी कमजोरी है वो हमारी सबसे बड़ी ताकत बन जाये तो मजा आ जाये। क्या कहते हो आप ?

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